
Class 10th Hindi Chapter 1 Subjective Questions Answers Bihar Board 2026
इस पोस्ट में हमने Class 10 Hindi गोधूलि भाग 2 अध्याय 1. “श्रम विभाजन और जाति प्रथा” (Shram Vibhajan Aur Jati Pratha Subjective Questions Answers) के सभी Important Subjective Questions with Answers & Bihar Board Previous Year Questions दिए हैं। ये गोधूलि भाग 2 श्रम विभाजन और जाति प्रथा Subjective Questions, Bihar Board 2026 Exam के लिए बहुत उपयोगी हैं।
अगर आप Class 10th Bihar Board के छात्र हैं तो इन Subjective Questions & Previous Year Questions को जरूर पढ़ें और नीचे दिए गए PDF को Download करके Practice करें।
Bihar Board Class 10th Shram Vibhajan Aur Jati Pratha Subjective Questions Answers
यहाँ वर्ग 10वीं बिहार बोर्ड हिन्दी गोधूलि भाग-2 के अध्याय 1. श्रम विभाजन और जाति प्रथा Subjective Questions के NCERT पाठ्यपुस्तक से दिए गए हैं। इसके बाद Bihar Board Previous Year Questions भी दिया गया हैं।
Class 10th Hindi गोधूलि भाग 2 श्रम विभाजन और जाति प्रथा Subjective Questions with Answer
1. लेखक किस ‘विडम्बना’ की बात करते हैं? ‘विडम्बना’ का स्वरूप क्या है?
उत्तर : लेखक उस विडम्बना (उपहास या दुखद स्थिति) की बात करते हैं कि आज भी सभ्य समाज में जातिवाद के समर्थक (पोषक) बड़ी संख्या में मौजूद हैं। विडम्बना का स्वरूप यह है कि जाति प्रथा श्रम विभाजन के नाम पर व्यक्ति को केवल उसके जन्म के आधार पर काम सौंप देती है, जो उसकी क्षमता और रुचि की अनदेखी है।
2. जाति प्रथा भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कही जा सकती?
उत्तर : जाति प्रथा को स्वाभाविक श्रम विभाजन नहीं कहा जा सकता क्योंकि स्वाभाविक श्रम विभाजन मनुष्य की रुचि और क्षमता पर आधारित होता है। इसके विपरीत, जाति प्रथा व्यक्ति को उसके जन्म से पहले ही एक पेशे में बाँध देती है। इसमें व्यक्ति की स्वेच्छा (इच्छा) का कोई स्थान नहीं होता और व्यक्ति को अनिच्छा से काम करना पड़ता है।
3. जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है?
उत्तर : जाति प्रथा लोगों को उनके पैतृक पेशे से बाँध देती है। यदि समय के साथ वह पेशा बदल जाए, या व्यक्ति उसमें कुशल न हो, तो भी वह उसे छोड़ नहीं सकता। पेशे के बदलने की अनुमति न होने के कारण कई लोगों को भूखों मरने की नौबत आ जाती है। इस प्रकार, पेशा बदलने की मजबूरी न होने के कारण यह बेरोजगारी का प्रत्यक्ष और प्रमुख कारण है।
4. लेखक ने पाठ में किन प्रमुख पहलुओं से जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है?
उत्तर : लेखक ने जाति प्रथा को निम्नलिखित पहलुओं से हानिकारक बताया है:
- यह बेरोजगारी का मुख्य कारण है क्योंकि पेशा बदलने की अनुमति नहीं देती।
- यह मनुष्य की स्वाभाविक रुचि और स्वेच्छा को दबा देती है।
- यह व्यक्ति को अनिच्छा से काम करने को मजबूर करती है, जिससे उसकी कार्यकुशलता घट जाती है।
- यह मानवीय स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांत के खिलाफ है।
5. आपके विचार से क्या जाति प्रथा श्रम विभाजन का दूसरा रूप है?
उत्तर : नहीं, जाति प्रथा श्रम विभाजन का दूसरा रूप नहीं है। श्रम विभाजन का अर्थ है कुशलता के आधार पर काम का बँटवारा, जबकि जाति प्रथा का अर्थ है मनुष्य को जन्म के आधार पर उसके पैतृक पेशे से बाँध देना। यह केवल एक भेदभावपूर्ण व्यवस्था है, न कि सही श्रम विभाजन।
6. लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या किसे मानते हैं और क्यों?
उत्तर: लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या जाति प्रथा को मानते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जाति प्रथा लोगों को उनके
निर्धारित काम को करने के लिए बाध्य करती है, भले ही उसमें उनकी रुचि न हो। जब कोई व्यक्ति अनिच्छा से काम करता है, तो वह कम काम करता है और उसकी उत्पादकता (Productivity) कम हो जाती है, जो समाज और राष्ट्र के लिए सबसे हानिकारक है।
7. लेखक ने पाठ में किन प्रमुख पहलुओं से जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है?
उत्तर: (यह प्रश्न 4 के समान है, लेकिन अधिक विस्तृत उत्तर यहाँ दिया गया है) लेखक ने इसे एक हानिकारक प्रथा निम्नलिखित पहलुओं से दिखाया है:
- यह व्यक्ति को आजीवन एक ही पेशे में बाँधकर रखती है।
- यह व्यक्ति को पेशा बदलने की अनुमति नहीं देती, जिससे भूखे मरने की नौबत आती है।
- यह व्यक्ति की रुचि और स्वाभाविक प्रेरणा को खत्म कर देती है, जिससे कार्यकुशलता घटती है।
- यह समाज को ऊँच-नीच में बाँटकर भाईचारे को खत्म करती है।
8. सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओं को आवश्यक माना है?
उत्तर: सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने निम्नलिखित विशेषताओं को आवश्यक माना है:
- भाईचारा (Fraternity): समाज में दूध और पानी के मिश्रण जैसा भाईचारा होना चाहिए।
- समानता और स्वतंत्रता: सभी को समान अवसर और अपनी रुचि का काम चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
- सतत संचार: सभी लोगों के बीच लगातार संपर्क और विचारों का आदान-प्रदान (संचार) होना चाहिए।
- सामुदायिक जीवन: लोगों के बहुविध हितों में सबकी साझेदारी होनी चाहिए।
Bihar Board Previous Year Questions | गोधूलि भाग 2 श्रम विभाजन और जाति प्रथा Subjective Questions
Bihar Board Class 10th गोधूलि भाग 2 श्रम विभाजन और जाति प्रथा Subjective Questions 2026 | Class 10th Hindi Subjective Questions – Bihar Board Previous Year Questions with Answer नीचे दिए गए हैं।
Bihar Board Previous Year Questions जो Class 10th Hindi गोधूलि भाग 2 श्रम विभाजन और जाति प्रथा Subjective Questions 2026 । इसमें आज तक बिहार बोर्ड परीक्षा में प्रश्न पूछे गए हैं, वो दिया गया हैं। इसे पढ़कर परीक्षा के तैयारी मजबूत क्र सकते है।
1. लेखक भीमराव अंबेदकर आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या किसे मानते हैं और क्यों? [2023AI]
उत्तर: लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या यह मानते हैं कि बहुत से लोग निर्धारित कार्य को अरुचि के साथ केवल विवशतावश करते हैं।
- कारण: ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर टालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता है और न ही दिमाग, अतः ऐसा करने से कोई कुशलता की प्राप्ति नहीं होती है।
2. कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए क्या आवश्यक है? [2021AI]
उत्तर: कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यक्तियों की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें जिससे वह अपने पेशा या कार्य का चुनाव निजी क्षमता और योग्यता के आधार पर कर सके।
3. भीमराव अंबेदकर किस विडम्बना की बात करते हैं? [2020AI]
उत्तर: लेखक भीमराव अंबेदकर का मानना है कि हमारे आधुनिक सभ्य समाज में भी जातिवाद के पोषकों की कमी नहीं है।
- विडम्बना: जाति प्रथा का दूषित सिद्धांत मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा निजी क्षमता का विचार किए बिना गर्भधारण के समय से ही मनुष्य का पेशा निर्धारित कर देता है, जो इस आधुनिक सभ्य समाज के लिए विडम्बना की बात है।
4. जातिप्रथा भारत के बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है? [2017AI, 2021AI, 2022AII]
उत्तर: जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है क्योंकि:
- यह मनुष्य को जीवनभर के लिए एक पेशों में बाँध भी देती है।
- प्रतिकूल परिस्थितियों (जैसे पेशा अनुपयुक्त होने) में भी मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता नहीं होती है।
- पेशा परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है।
5. जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कही जा सकती ? [2014AII, 2016AI]
उत्तर: जाति प्रथा भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप नहीं कही जा सकती है क्योंकि:
- यह मनुष्य की रुचि पर आधारित नहीं है।
- यह प्रथा पेशे की स्वतंत्रता का गला घोंट देती है।
- यह मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा निजी क्षमता का विचार किए बिना गर्भधारण के समय से ही मनुष्य का पेशा निर्धारित कर देती है।
6. सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओं को आवश्यक माना है? [2016AII]
उत्तर: लेखक भीमराव अंबेदकर का मानना है कि सच्चा लोकतंत्र स्वतंत्रता, समता और भ्रातृत्व (भाईचारा) पर आधारित होना चाहिए।
- ऐसे समाज में बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। अर्थात् एक-दूसरे के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो।
7. लेखक ने पाठ में किन पहलुओं से जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है? [2015A]
उत्तर: लेखक ने जाति प्रथा को निम्नलिखित पहलुओं से हानिकारक बताया है:
- सामाजिक/श्रम विभाजन: यह श्रमिकों को ऊँच और नीच में बाँट देती है।
- पेशा/आर्थिक: यह पेशा-चयन की स्वतंत्रता का गला घोंट देती है, जिससे लोग रुचि के साथ काम नहीं करते और यह बेरोजगारी का कारण बनती है।
- मानसिक: यह मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा रुचि का कोई स्थान नहीं रखती और उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़कर निष्क्रिय बना देती है।
8. लेखक के अनुसार आदर्श समाज में किस प्रकार की गतिशीलता होनी चाहिए? [2018AII]
उत्तर: लेखक भीमराव अम्बेदकर के अनुसार किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए जिसमें कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे छोर तक संचारित हो सके। ऐसे समाज में बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।
9. अम्बेदकर के अनुसार जाति-प्रथा के पोषक उसके पक्ष में क्या तर्क देते हैं? [2014AI]
उत्तर: अम्बेडकर के अनुसार जाति-प्रथा के पोषक यह तर्क देते हैं कि:
- आधुनिक सभ्य समाज ‘कार्य-कुशलता’ के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक मानता है।
- चूँकि जाति प्रथा भी श्रम विभाजन का ही दूसरा रूप है इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है।
10. डॉ० भीमराव अम्बेदकर के अनुसार किसी कार्य में दक्षता प्राप्त करने के लिए क्या अनिवार्य है? [2025AII]
उत्तर: डॉ० भीमराव अम्बेदकर के अनुसार किसी कार्य में दक्षता प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य है कि हम व्यक्तियों की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें जिससे वह अपने पेशा या कार्य का चुनाव स्वयं कर सके।
Class 10th Hindi Chapter 1 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha Subjective Questions Answers | Bihar Board Previous Year Questions | Bihar Board 2026 के लिए Important Chapter है। Kanak Ki PathShala
📘 गोधूलि भाग 2 श्रम विभाजन और जाति प्रथा Subjective Questions PDF
Complete Shram Vibhajan Aur Jati Pratha Subjective Questions Answers 2026 Bihar Board Previous Year Questions PDF अभी Download करें।
📥 गोधूलि भाग 2 श्रम विभाजन और जाति प्रथा Subjective Questions PDF Download NowShram Vibhajan Aur Jati Pratha Subjective Questions Answers 2026 PDF
गोधूलि भाग 2 श्रम विभाजन और जाति प्रथा (निबंध) से बिहार बोर्ड में बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न (Bihar Board Previous Year Questions | Class 10th Hindi Subjective Questions)
Q1. लेखक भीमराव अंबेदकर आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या किसे मानते हैं और क्यों? [2023AI]
उत्तर: लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या यह मानते हैं कि बहुत से लोग निर्धारित कार्य को अरुचि के साथ केवल विवशतावश करते हैं।
कारण : ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर टालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता है और न ही दिमाग, अतः ऐसा करने से कोई कुशलता की प्राप्ति नहीं होती है।
Q2. भीमराव अंबेदकर किस विडम्बना की बात करते हैं? [2020AI]
उत्तर: लेखक भीमराव अंबेदकर का मानना है कि हमारे आधुनिक सभ्य समाज में भी जातिवाद के पोषकों की कमी नहीं है।
विडम्बना: जाति प्रथा का दूषित सिद्धांत मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा निजी क्षमता का विचार किए बिना गर्भधारण के समय से ही मनुष्य का पेशा निर्धारित कर देता है, जो इस आधुनिक सभ्य समाज के लिए विडम्बना की बात है।
Q3. जातिप्रथा भारत के बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है? [2017AI, 2021AI, 2022AII]
उत्तर: जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है क्योंकि:
(i). यह मनुष्य को जीवनभर के लिए एक पेशों में बाँध भी देती है।
(ii). प्रतिकूल परिस्थितियों (जैसे पेशा अनुपयुक्त होने) में भी मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता नहीं होती है।
(iii). पेशा परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है।
Q4. जाति प्रथा भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कही जा सकती?
उत्तर : जाति प्रथा को स्वाभाविक श्रम विभाजन नहीं कहा जा सकता क्योंकि स्वाभाविक श्रम विभाजन मनुष्य की रुचि और क्षमता पर आधारित होता है। इसके विपरीत, जाति प्रथा व्यक्ति को उसके जन्म से पहले ही एक पेशे में बाँध देती है। इसमें व्यक्ति की स्वेच्छा (इच्छा) का कोई स्थान नहीं होता और व्यक्ति को अनिच्छा से काम करना पड़ता है।
📌 Related Posts / Study Material Links
- श्रम विभाजन और जाति प्रथा Objective Questions, Notes (Bihar Board 2026)
- बहादुर कहानी का सारांश, Notes – Class 10th Hindi Bihar Board Free PDF
- दही वाली मंगग्मा Objective Question | 10th Bihar Board Free PDF
- ढहते विश्वास Objective Questions | Class 10 Hindi Varnika Part 2 | Free PDF
- बहादुर कहानी का सारांश – Important Notes Class 10th Hindi
- माँ कहानी Objective Question, Class 10th Hindi Important MCQs, PDF
- नगर कहानी Objective Questions 2026 (PDF) ∣ Class 10 Hindi Important MCQs
Class 10th Hindi (वर्णिका भाग 2) Subjective Questions & Answers
हिन्दी वर्णिका भाग 2 के महत्वपूर्ण QnA For Class 10th Hindi Subjective Questions Answers का लिंक नीचे दिया गया है।
| S.N. | कहानी (भाषा) |
|---|---|
| #1. | दही वाली मंगम्मा (कन्नड़) |
| #2. | ढहते विश्वास (उड़िया) |
| #3. | माँ – कहानी (गुजराती) |
| #4. | नगर कहानी (तमिल) |
| #5. | धरती कब तक घूमेगी (राजस्थानी) |
📲 Join Kanak Ki PathShala Community
🎓 Free Study Materials, Notes & Test Updates




