
संपूर्ण क्रांति पाठ का सारांश (Sampurn Kranti Ka Saransh) – जयप्रकाश नारायण द्वारा दिया गया भाषण
संपूर्ण क्रांति पाठ का सारांश (Sampurn Kranti Ka Saransh) – जयप्रकाश नारायण का यह ऐतिहासिक भाषण 5 जून 1974 को पटना के गांधी मैदान में दिया गया था। यह भाषण Bihar Board Class 12 Hindi के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है और इसमें जयप्रकाश नारायण ने देश में व्याप्त राजनीतिक भ्रष्टाचार, लोकतंत्र की चुनौतियों और युवा पीढ़ी की भूमिका पर गहरी चर्चा की है। इस पाठ को पढ़कर छात्र Sampurn Kranti Ka Saransh के मुख्य बिंदुओं और उनके सामाजिक एवं राजनीतिक महत्व को समझ सकते हैं।
संपूर्ण क्रांति पाठ का सारांश (Sampurn Kranti Ka Saransh)
संपूर्ण क्रांति पाठ का लेखक परिचय :
लेखक – जयप्रकाश नारायण
संपूर्ण क्रांति भाषण – 5 जून 1974, पटना, गांधी मैदान
जन्म – 11 अक्टूबर 1902
निधन – 8 अक्टूबर 1979
जन्म स्थान – सिताब दियारा गांव
माता का नाम – फूलरानी
पिता का नाम – हरसू दयाल
शिक्षा – आरंभिक घर पर, आगे की शिक्षा के लिए पटना कॉलेजिएट गए, फिर 1922 में शिक्षा प्राप्ति के लिए अमेरिका गए। मां के अस्वस्थता के कारण पी.एच.डी. नहीं कर पाए।
जयप्रकाश नारायण की रचनाएँ :
- एक चिड़ा और एक चिड़ी की कहानी
- विफलता : शोध की मंज़िलें
- संपूर्ण क्रांति
Bihar Board Class 12 Hindi – Sampurn Kranti Ka Saransh
संपूर्ण क्रांति पाठ का सारांश :
प्रस्तुत पाठ में लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा दिये गए ऐतिहासिक भाषण का एक अंग है जिसे उन्होंने 5 जून 1974 को पटना के गांधी मैदान में दिया था। संपूर्ण भारत स्वतंत्र पुस्तिका के रूप में जनमुक्ति पटना से प्रकाशित है। भाषण को सुनने के लिए लाखों की संख्या में लोग पूरे प्रदेश से आए थे जिसमें युवाओं का बोलबाला था।
नारायण जी कहते हैं कि अगर दिनकर जी और रामवृक्ष बेनीपुरी जी होते तो उनकी कविता भारत के नव निर्माण के लिए क्रांति का कार्य करती लेकिन वह आज हमारे बीच नहीं है। जयप्रकाश नारायण जी कहते हैं कि यह जिम्मेवारी मैंने माँग के नहीं लिया मुझे यह जिम्मेदारी युवा पीढ़ी द्वारा सौंपी गई है। वह कहते हैं कि मैं नाम का नेता नहीं बनूंगा मैं सब की बात सुनूंगा लेकिन अंतिम फैसला मेरा होगा। लेखक ने अपने परिवार की गरीबी के बावजूद अमेरिका में अपने बलबूते पर पढ़ाई की तथा वापस आकर कांग्रेस में शामिल हुए।
जयप्रकाश बाबू से मिलने बहुत सारे नेता आए और सब ने उन्हें एकतरफ लोकतंत्र के शिक्षा दी तो दूसरी तरफ लोगों के जुलूस को रोका गया। लेखक कहते हैं कि ऐसे लोगों को शर्म नहीं आती जो एक तरफ लोकतंत्र की बातें करते हैं तो दूसरी तरफ लोकतंत्र को अपने पैरों से कुचलते हैं। लेखक के कुछ मित्र उनका और इंदिरा जी का मेल मिलाप करवाना चाहते थे। लेखक कहते हैं कि मेरा इंदिरा जी से व्यक्तिगत झगड़ा नहीं है बल्कि उनकी गलत नीतियों से मेरा झगड़ा है।
लेखक ने कई बार बापू और नेहरू जी की भी आलोचना की। लेखक कहते हैं कि आज राजनीति में भ्रष्टाचार बढ़ा है जिसका प्रमुख कारण चुनावों की चर्चा है। आज के लोकतंत्र में जनता को इतना ही अधिकार है कि वह चुनाव करें। लोकतंत्र मे चुनाव के बाद अपनी ही प्रतिनिधियों पर जनता का कोई अंकुश नहीं होता है। लेखक के अनुसार अन्य देशों में प्रेस तथा पत्रिका प्रतिनिधियों पर अंकुश लगाती है, लेकिन हमारे देश में इसका बहुत अभाव है।
जयप्रकाश नारायण जी का यह भाषण वाकई एक शानदार भाषण है।
Key Highlights – Sampurn Kranti Ka Saransh :
संपूर्ण क्रांति पाठ का मुख्य बिंदु :
- जयप्रकाश नारायण का ऐतिहासिक भाषण 5 जून 1974 को पटना के गांधी मैदान में।
- भाषण में देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार और लोकतंत्र की कमजोरियों पर गहन चर्चा।
- युवा पीढ़ी को सामाजिक और राजनीतिक बदलाव में सक्रिय भूमिका निभाने का संदेश।
- व्यक्तिगत झगड़े नहीं, बल्कि नीतियों के प्रति आलोचना का दृष्टिकोण।
- लोकतंत्र में जनता के अधिकार और चुनाव प्रक्रिया पर ध्यान।
- प्रेस और मीडिया की स्वतंत्रता की आवश्यकता पर जोर।
- बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण और शिक्षाप्रद पाठ।
Frequently Asked Questions
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PDF डाउनलोड करें📘 Class 12 Hindi Objective Question
✍ गद्यखंड (Prose Section)
| # | गद्यखंड |
|---|---|
| 1 | बातचीत |
| 2 | उसने कहा था |
| 3 | संपूर्ण क्रांति |
| 4 | अर्धनारीश्वर |
| 5 | रोज (कहानी) |
| 6 | एक लेख और एक पत्र |
| 7 | ओ सदानीरा |
| 8 | सिपाही की माँ |
| 9 | प्रगीत और समाज |
| 10 | जूठन |
| 11 | हँसते हुए मेरा अकेलापन |
| 12 | तिरिछ |
| 13 | शिक्षा |






