
Bihar Board Class 10th Sanskrit Alaskatha Path Notes PDF 2026
इस पोस्ट में हमने Bihar Board Class 10th Sanskrit Alaskatha Notes 2026 “अलसकथा (Alaskatha Notes) पाठ नोट्स” दिए हैं। ये Alaskatha Notes Bihar Board 2026 Exam के लिए बहुत उपयोगी हैं। अगर आप Class 10 के छात्र हैं तो इन Bihar Board Class 10th Sanskrit Alaskatha Notes को जरूर पढ़ें और नीचे दिए गए PDF को Download करके Practice करें।
अलसकथा पाठ नोट्स (Alaskatha Notes) पाठ नोट्स | Bihar Board Class 10th Sanskrit Notes
Bihar Board Class 10th Sanskrit Alaskatha Notes in Hindi PDF | Bihar Board 2026 के लिए Important Chapter अलसकथा (Alaskatha Notes) पाठ – Kanak Ki PathShala
अलसकथा पाठ नोट्स (Alaskatha Notes) : संपूर्ण परीक्षा नोट्स
1. अलसकथा पाठ का परिचय (Introduction to the Chapter) :
- पाठ का नाम : अलसकथा (आलसियों की कहानी)
- स्रोत ग्रन्थ (Source Text) : पुरुषपरीक्षा
- लेखक (Author) : विद्यापति । वह एक लोकप्रिय मैथिली कवि थे और उन्होंने कई संस्कृत ग्रंथों की भी रचना की ।
- नीति-वचन : नीतिकार आलस्य को शत्रु (रिपुरूपं) मानते हैं ।
2. अलसकथा पाठ के मुख्य घटनाएँ और पात्र (Main Events and Characters) :
पात्र (Characters) :
- वीरेश्वर: मिथिला के मंत्री ।
- स्वभाव: वह दानशील और दयावान (कारुणिकः) थे ।
- कार्य: वह प्रतिदिन गरीबों (दुर्गतेभ्यो) और अनाथों को इच्छा-भोजन (मनचाहा भोजन) दिलवाते थे । आलसियों को तो भोजन के साथ वस्त्र भी दिलवाते थे ।
धूर्तों का प्रवेश (Entry of the Cheats) :
- आलसियों को वहाँ आसानी से भोजन-वस्त्र मिलते देखकर, बहुत से तोंद बढ़ाने वाले (तुन्दपरिमृजाः) और धूर्त लोग (धूर्ताः) भी आ गए ।
- वे बनावटी आलस्य (कृत्रिममालस्यम्) दिखाकर भोजन लेने लगे ।
- सिद्धान्त: सभी सगे-संबंधी सुख को देखकर दौड़ते हैं ।
परीक्षा और आग (The Test and the Fire) :
- आलस-शाला में अधिक धन खर्च (बहुद्रव्यव्ययं) होते देखकर, वहाँ के कर्मचारियों (तन्नियोगिपुरुषैः) ने परीक्षा करने का विचार किया ।
- उन्होंने आलसियों के सोये रहने पर (प्रसुप्तेषु) घर में आग (वहिनं) लगवा दी ।
- परिणाम:
- आग को बढ़ते देखकर सभी धूर्त सबसे पहले भाग गए (पलायिताः) ।
- उसके बाद थोड़े-से आलसी (ईषदलसाः) भी भाग गए ।
- लेकिन चार पुरुष (चत्वारः पुरुषाः) वहीं सोए रहे और आपस में बातें करने लगे ।
चार आलसियों का संवाद (Dialogue of the Four Idlers) :
- पहला (वस्त्रावृतमुखेन): “अरे! यह कैसा शोर (कोलाहलः) है?”
- दूसरा: “लगता है कि इस घर में आग लग गई है (अग्निर्लग्नोऽस्ति)।”
- तीसरा: “कोई भी इतना दयालु (धार्मिकः/कारुणिकः) नहीं है, जो इस समय गीले वस्त्रों या चटाई से हमें ढक दे।”
- चौथा: “अरे वाचालों (बहुत बोलने वालों)! कितनी बातें बोल सकते हो? चुपचाप (तूष्णीं) क्यों नहीं रहते?”
आलसियों की गति/ भाग्य (The Destiny of Idlers) :
- आग को उन पर गिरते देखकर, कर्मचारियों ने जान के भय (वधभयेन) से बाल (केशेष्वाकृष्य) पकड़कर उन चारों को घर से बाहर निकाला ।
- नियुक्त पुरुषों ने पढ़ा: स्त्रियों का सहारा पति होता है, बच्चों का सहारा माता होती है, लेकिन आलसियों का सहारा दुनिया में दयावान (कारुणिकं) के बिना कोई नहीं होता ।
- अन्त: मंत्री वीरेश्वर ने उन चारों असली आलसियों को पहले से भी अधिक वस्तु दिलवाई ।
अलसकथा पाठ से मिलने वाली शिक्षाएँ (Lessons from the Alsakatha Path) :
1. आलस्य सबसे बड़ा शत्रु है (Laziness is the biggest enemy)
- मुख्य शिक्षा : नीतिकार आलस्य (laziness) को मनुष्यों के शरीर में स्थित सबसे महान शत्रु (महारिपुः) मानते हैं।
- यह पाठ हमें सिखाता है कि जो व्यक्ति आलसी होता है, वह अपनी भूख की अग्नि को शांत करने के लिए भी कुछ नहीं कर पाता, इसलिए जीवन में आलस्य का पूरी तरह से त्याग (सर्वथा त्याज्यम्) करना चाहिए।
श्लोक : आलस्यं हि मनुष्याणां, शरीरस्थो महारिपुः। (आलस्य मनुष्य के शरीर में स्थित सबसे बड़ा शत्रु है।)
2. परिश्रम ही सच्चा मित्र है (Hard work is a true friend):
- मुख्य शिक्षा : आलस्य को छोड़कर परिश्रम (उद्यम) को अपनाना चाहिए। परिश्रम के समान हमारा कोई सगा-संबंधी (बन्धु) नहीं है, जिसे करके मनुष्य कभी दुखी (नावसीदति) नहीं होता।
- सफलता और प्रगति के लिए उद्यमी (मेहनती) होना ज़रूरी है।
3. लोभ और दिखावे से बचें (Avoid greed and show-off) :
- मुख्य शिक्षा : इस कथा में धूर्त (चालाक) लोग केवल भोजन के लोभ में आकर बनावटी आलस्य (कृत्रिममालस्यम्) का नाटक करते हैं।
- यह सिखाता है कि हमें लोभ और दिखावे से दूर रहना चाहिए, क्योंकि संकट (जैसे- आग) आने पर ये धूर्त सबसे पहले भाग जाते हैं और असली मुसीबत में केवल सच्चे गुणवान व्यक्ति ही काम आते हैं।
4. दया का महत्व (The importance of kindness) :
- मुख्य शिक्षा: आलसियों का अंतिम सहारा दयावान (कारुणिक) व्यक्ति ही होता है।
- मन्त्री वीरेश्वर जैसे दयालु और परोपकारी व्यक्ति ही समाज के असहाय (असहाय) लोगों की सहायता करते हैं।
✅ अलसकथा पाठ नोट्स (Alaskatha Notes) – परीक्षा के लिए मुख्य बिन्दु (Key Points for Exam)
- लेखक व स्रोत – यह कथा विद्यापति द्वारा रचित ‘पुरुषपरीक्षा’ ग्रंथ से ली गई है।
- मुख्य पात्र – वीरेश्वर (मिथिला के मंत्री) दयालु, दानशील और कारुणिक व्यक्ति थे।
- दान की व्यवस्था – वे रोज़ गरीबों व अनाथों को मनचाहा भोजन और आलसियों को वस्त्र भी दिलवाते थे।
- धूर्तों का प्रवेश – कुछ चालाक (धूर्त) लोग झूठा आलस्य दिखाकर भोजन-वस्त्र पाने लगे।
- परीक्षा की योजना – कर्मचारियों ने असली और नकली आलसियों की पहचान के लिए आग लगाने की योजना बनाई।
- आग की परीक्षा – आग लगते ही धूर्त भाग गए, कुछ कम आलसी भी भागे, लेकिन चार असली आलसी वहीं पड़े रहे।
- चार आलसियों का संवाद – वे आग लगने पर भी बातें करते रहे; कोई हिलने तक को तैयार नहीं हुआ।
- दयालुता का उदाहरण – कर्मचारियों ने उन्हें खींचकर बाहर निकाला, और वीरेश्वर ने उन चारों को पहले से अधिक वस्तु दिलवाई।
- मुख्य शिक्षा – आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है; परिश्रम (उद्यम) ही सच्चा मित्र है।
- संदेश – लोभ, दिखावा और आलस्य का त्याग कर हमें परिश्रमी, दयालु और विवेकी बनना चाहिए।
अलसकथा पाठ नोट्स कक्षा 10वीं संस्कृत (Alaskatha Notes) – FAQ ❓
प्रश्न #1: अलसकथा पाठ का लेखक कौन हैं और यह किस ग्रन्थ से लिए गया है ?
उत्तर : अलसकथा पाठ का नाम अलसकथा (आलसियों की कहानी) है। इसे विद्यापति ने रचित ‘पुरुषपरीक्षा’ ग्रंथ से लिया है।
प्रश्न #2: कर्मचारियों ने आलसियों की परीक्षा क्यों ली?
उत्तर : क्योंकि आलस-शाला में अधिक धन खर्च हो रहा था, इसलिए कर्मचारियों ने आग लगाने की योजना बनाई।
प्रश्न #3: मंत्री वीरेश्वर किस तरह से लोगों की सहायता करते थे?
उत्तर : वे रोज़ गरीबों और अनाथों को मनचाहा भोजन और आलसियों को वस्त्र भी दिलवाते थे।
प्रश्न #4: धूर्त लोग आलस-शाला में क्यों आए और क्या किया?
उत्तर : कुछ चालाक (धूर्त) लोग झूठा आलस्य दिखाकर भोजन-वस्त्र पाने के लिए आए।
प्रश्न #5: आग लगने पर क्या हुआ?
उत्तर: आग लगते ही धूर्त लोग पहले भाग गए, कुछ कम आलसी भी भागे, लेकिन चार असली आलसी वहीं पड़े रहे।
निष्कर्ष (Conclusion):
‘अलसकथा’ का सार यह है कि हमें जीवन में आलस्य छोड़कर उद्यम करना चाहिए और यह भी समझना चाहिए कि जहाँ दान की व्यवस्था है, वहाँ धूर्तों का दिखावा भी ज़रूर होता है, इसलिए हमें विवेक से काम लेना चाहिए।
यह पोस्ट Bihar Board अलसकथा पाठ नोट्स (Alaskatha Notes) कक्षा 10वीं (संस्कृत) | (Class 10th Sanskrit Chapter 3 Notes in Hindi) छात्रों के लिए बहुत उपयोगी है। Bihar Board Class 10th Alaskatha Notes PDF Download Link 2026 उपलब्ध है, जिससे आप परीक्षा की तैयारी सरल और प्रभावी तरीके से कर सकते हैं।
Bihar Board Class 10th अलसकथा पाठ नोट्स (Alaskatha Notes) संस्कृत – PDF Download Link
📘 Class 10th संस्कृत – अलसकथा पाठ नोट्स PDF
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| S.N. | कहानी (भाषा) |
|---|---|
| #1. | दही वाली मंगम्मा (कन्नड़) |
| #2. | ढहते विश्वास (उड़िया) |
| #3. | माँ – कहानी (गुजराती) |
| #4. | नगर कहानी (तमिल) |
| #5. | धरती कब तक घूमेगी (राजस्थानी) |
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