
Dahi wali Mangamma Subjective Question Answer For Board Exam 2025
आज के इस पोस्ट में दही वाली मंगग्मा (Dahi Wali Mangamma ) के प्रश्न और उत्तर देखने वाले है , जो आपके बोर्ड परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
दही वाली मंगग्मा | Dahi Wali Mangamma Questions Answer Class 10th Hindi & Question Bank QnA के लिए सभी महत्वपूर्ण Subjective प्रश्न-उत्तर। बोर्ड परीक्षा 2026 की तैयारी के लिए पढ़ें।
Dahi Wali Mangamma Subjective Questions NCERT QnA & Question Bank QnA
1. मंगम्मा का चरित्र-चित्रण कीजिए ।
उत्तर- मंगम्मा गाँव की सीधी-सादी नारियों का प्रतिनिधित्व करती है। आज गाँव-शहर सभी जगह मंगम्मा का प्रतिमूर्ति मिलती है । वह अपमान और कष्ट सहकर भी प्रतिष्ठा से रहना चाहती है। वह चाहती है कि बेटे-बहू और पोते पर उसका प्रभाव बना रहे। है । इस प्रकार वह एक भारतीय नारी है जो सम्मान के साथ जीना चाहती है ।
2. रंगप्पा कौन था ? और वह मंगमा से क्या चाहता था ?
उत्तर- रंगप्पा गाँव का लंपट और जुआड़ी था । वह मंगग्मा से धन चाहता था । इतना ही नहीं वह मंगग्मा के अनाथ समझकर उसकी इजत भी लूटना चाहत था ।
Dahi Wali Mangamma प्रश्न #3
3. दही वाली मंगग्मा कहानी में बहू ने सास को मनाने के लिए कौन सा तरीका अपनाया ?
उत्तर- बहू बुद्धिमान थी। उसने सोच-समझकर बच्चे को दादी के पास भेज दिया । बच्चा जब दादी के साथ बाजार जाने को मचल रहा था । तो बेटा-बहू ने उसे समझाया अपनी गलती भी उन्होंने स्वीकार की। पोता ही समझौते का जरिया बन गया । जो बहु की योजना थी ।
दही वाली मंगग्मा प्रश्न #4
4. मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था ?
उत्तर- मंगम्मा का अपनी बहू के साथ प्रत्यक्ष में तो झगड़े का कारण पोते की पिटाई थी परन्तु मुख्य कारण अधिकार को लेकर विवाद था। मंगम्मा अपने बेटे पोते और बहू पर भी अपना अधिकार बनाये रखना चाहती थी । जिसे उसकी बहू मानने को तैयार नहीं थी और यही विवाद का कारण था ।
Dahi Wali Mangamma प्रश्न #5
5. मंगम्मा और नंजम्मा में कौन अधिक बुद्धिमान है ?
उत्तर- मंगम्मा और नंजम्मा में अधिक बुद्धिमान नंजम्मा है क्योंकि दोनों नारियाँ अधिकार के लिए झगड़ती हैं । किन्तु नंजम्मा अपनी नाटकीय योजना से उसे परास्त कर देती है । यहाँ तक कि दही बेचने वाला आय का साधन भी उसके हाथ से खुशी-खुशी ले लेती है ।
Dahi wali Mangamma Subjective Question Answer
6. दही वाली मंगग्मा (Dahi Wali Mangamma) कहानी का सारांश प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर- मंगग्मा अवलूर के समीप वेंकटपुर के रहनेवाली थी । और रोज दही बेचने बेंगलूर आती थी। मंगम्मा का पति नहीं था । और बेटा-बहू से गृह-कलह के कारण अलग हो गई। प्रत्यक्ष में तो झगड़े का कारण पोते की पिटाई थी किन्तु मूल रूप में सास-बहू की अधिकार सम्बन्धी ईर्ष्या थी । मंगग्मा को अकेली जानकर कुछ अवांछित तत्व के लोग उसके धन और प्रतिष्ठा पर भी आँखें उठाते है । रंगप्पा भी ऐसा ही किया । जिसे बहू की पैनी निगाहों ने ताड़ लिया । उसने पोते को उसके पास भेजने का एक नाटक किया । अब मंगम्मा पोता के लिए मिठाई भी बाजार से खरीदकर ले जाने लगी ।
एक दिन कौवे ने उसके माथे से मिठाई लेकर उड़ गया । अंधविश्वास के कारण मंगम्मा भयभीत हो उठी । बहू के द्वारा नाटकीय ढंग से पोते को दादी के पास भेजने का बहू का मंत्र – बड़ा कारगर हुआ । दूरी बढ़ने से भी प्रेम बढ़ता है । मानसिक तनाव घटता है । हुआ भी ऐसा ही । मंगम्मा को भी बहू में सौहार्द । बेटे और पोते में स्नेह नजर आने लगी । बड़े-बूढों ने भी समझाया । बहू ने मंगम्मा का काम अपने जिम्मे ले लिया । बहू ने बड़ी कुशलता से पुन: परिवार में शान्ति स्थापित कर लिया और पहले जैसे रहने लगी ।
दही वाली मंगग्मा – लघु उत्तरीय प्रश्न (Subjective Questions) | Previous Year Questions (Question Bank QnA)
नीचे दही वाली मंगग्मा कहानी से बिहार बोर्ड परीक्षा में आज तक पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए है, जो परीक्षा गए हैं। इसे पढ़कर आप समझ सकते है कि किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते है। जो आपको परीक्षा की तैयारी करने में मदद करेगा।
1. मंगम्मा अपने बेटे-बहू से अलग क्यों हो गयी? [2023AII]
उत्तर: मंगम्मा अपने बेटे-बहू से अलग हो गयी क्योंकि बहू नंजम्मा अपने बेटे (मंगम्मा के पोते) को खूब पीटती थी। इस विषय पर सास-बहू में अकसर तकरार बढ़ने लगी। जब मंगम्मा ने बहू की शिकायत अपने बेटे से की, तब बेटे ने अपनी पत्नी का ही पक्ष लिया। अंत में इस रोज़ के खटपट से बचने के लिए मंगम्मा अपनी बहू से अलग हो गयी।
2. बहू ने सास को मनाने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया? [2020AI]
उत्तर: बहू नंजम्मा को जब पता चला कि रंगप्पा उसकी सास मंगम्मा के पीछे पड़ गया है और वह कहीं सास के रुपये-पैसे न ले ले, तो इस आशंका से वह बेचैन हो गई। तब उसने एक योजना बनाई और अपने बेटे (पोते) से कहा कि जा दादी के पास, तुझे मिठाई देती है न। बस, बच्चा मंगम्मा के पास आकर रहने लगा। पोते के प्रेम और ज़िद के कारण, बहू ने आकर गलती स्वीकार की और मंगम्मा खुशी-खुशी बेटे-बहू के साथ रहने लगी।
3. मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था? [2020AI, 2025AII]
उत्तर: मंगम्मा का अपनी बहू नंजम्मा के साथ विवाद पोते की पिटाई को लेकर था। एक दिन बेटे की किसी गलती पर उसकी माँ नंजम्मा उसे पीट रही थी। मंगम्मा चुप न रह सकी और उसने बहू से कहा, “रे राक्षसी, इस छोटे से बच्चे को क्यों पीट रही है“। इस पर बहू चढ़ बैठी और उसने खूब सुनाई। बात बढ़ने पर जब मंगम्मा ने बेटे से शिकायत की तो उसने बहू का पक्ष लिया। इस घटना के बाद ही बहू ने मंगम्मा के बर्तन-भांडे अलग कर दिए।
4. रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता था? [2015AII, 2019A]
उत्तर: रंगप्पा शौकीन तबीयत रखने वाला एक जुआरी था। वह भली-भांति जानता था कि मंगम्मा अपने बहू-बेटे से अलग रहती है और उसके पास पैसे रहते हैं। रंगप्पा मंगम्मा से कर्ज लेना चाहता था। वह माँ-बेटे के बीच के अंतर्कलह का लाभ उठाना चाहता था।
5. ‘दही वाली मंगम्मा’ कहानी का कथावाचक कौन है? उसका परिचय दीजिए। [2012A, 2014AI, 2017AII, 2019AI, 2022AII]
उत्तर: इस कहानी के कथावाचक श्रीनिवास जी हैं। उनका पूरा नाम मास्ती वेंकटेश अय्यंगार है।
- जन्म: इनका जन्म 6 जून, 1891 ई. में कोलार, कर्नाटक में हुआ था।
- साहित्यिक योगदान: वे कन्नड़ साहित्य के सर्वाधिक प्रतिष्ठित रचनाकारों में से एक हैं। उन्होंने कविता, नाटक, आलोचना, जीवन-चरित्र आदि साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
- पुरस्कार: 1968 में इनके कहानी संकलन ‘सण्णा कथेगुलु’ के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया है। इन्होंने ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त किया है।
6. मंगम्मा का चरित्र-चित्रण कीजिए। [2011A, 2014AI]
उत्तर: मंगम्मा प्रस्तुत कहानी का प्रमुख केन्द्रीय चरित्र है।
- व्यवसाय एवं संचय: वह दही बेचकर अपना जीवन यापन करती है। वह दही बेचकर हुई आमदनी में से कुछ संचय करती है।
- स्वभाव: वह भोली-भाली और सहृदय नारी है। अपने पोते के प्रति उसका अधिक झुकाव है।
- दृढ़ता और सतीत्व: वह अपना सतीत्व बचाए रखना चाहती है। जुआरी रंगप्पा द्वारा बार-बार पीछे किए जाने पर भी वह अपने कर्मपथ से विचलित नहीं होती है।
- प्रतिनिधित्व: पति का अभाव उसे खटकता है किन्तु पति के प्रति कोई क्षोभ नहीं है। मंगम्मा सम्पूर्ण भारतीय नारीत्व का प्रतिनिधित्व करती है।
7. रंगप्पा कौन था? [2018AII, 2019A1]
उत्तर: रंगप्पा शौकीन तबीयत रखने वाला एक जुआरी था। वह यह भली-भांति जानता था कि मंगम्मा अपने बहू-बेटे से अलग रहती है और उसके पास पैसे रहते हैं। वह माँ-बेटे के अंतर्कलह का लाभ उठाकर मंगम्मा से कर्ज लेना चाहता था।
8. मंगम्मा ने अपना ‘धरम’ नहीं छोड़ा कैसे ? [2020AII]
उत्तर: मंगम्मा ने अपना ‘धरम’ नहीं छोड़ा, यह तब साबित हुआ जब एक दिन दही बेचकर आते समय गाँव के जुआरी और शराबी रंगप्पा ने मंगम्मा का हाथ पकड़ लिया और उससे रुपये भी मांग किए। जुआरी के चंगुल में फँसकर भी मंगम्मा ने अपने पैसे और चरित्र की रक्षा की, और वह किसी भी तरह से उसके चंगुल में नहीं फंसी और वहाँ से भाग चली। अतः यह कहना शत प्रतिशत सत्य है कि मंगम्मा ने अपना धरम नहीं छोड़ा।
9. मंगम्मा की बहू ने विवाद निपटाने में पहल क्यों की? [2018]
उत्तर: मंगम्मा की बहू ने विवाद निपटाने में पहल इसलिए की क्योंकि उसको यह अनुभव हुआ कि यदि विवाद का निपटारा नहीं करते हैं तो मंगम्मा के पास जो रुपया-पैसा जमा है वह पड़ोसीन को दे देगी। इस डर से कि मंगम्मा की जमापूंजी किसी बाहरी को न मिल जाए, बहू ने अपने बच्चे को दादी के गोंद में जाने को कहा और इस प्रकार समझौता कर लिया।

वर्णिका भाग 2 – दही वाली मंगग्मा (Dahi Wali Mangamma) – लेखक परिचय ,कहानी का सारांश
लेखक परिचय (श्री निवास)
- पूरा नाम – मास्ती वेंकटेश अय्यंगार (श्री निवास)
- जन्म – 6 जून 1891 ई., कोलार, कर्नाटक
- मृत्यु – 1986 ई.
श्रीनिवास कन्नड़ साहित्य के सर्वाधिक प्रतिष्ठित साहित्यकारों में गिने जाते हैं। उन्होंने कविता, नाटक, आलोचना, जीवनी और कहानी जैसी लगभग सभी विधाओं में योगदान दिया।
- उनके कहानी संग्रह “सण्णा कथेगुलु” को 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
- उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
- “दही वाली मंगम्मा” उनकी चर्चित कहानियों में से एक है, जिसका हिंदी अनुवाद बी.आर. नारायण ने किया।
दही वाली मंगग्मा (Dahi Wali Mangamma) कहानी का सार (संक्षेप में)
- मंगम्मा गाँव की गरीब लेकिन मेहनती स्त्री है, जो शहर आकर दही बेचती है।
- पति ने कभी उसका साथ नहीं दिया और दूसरी स्त्री के मोह में चला गया।
- बेटा भी माँ की बजाय अपनी पत्नी (बहू) का पक्ष लेता है और मंगम्मा को अलग कर देता है।
- बहू सास को अपमानित करती रहती है और ताना देती है कि वह मखमल की जाकिट क्यों पहनती है।
- पोता ही दादी (मंगम्मा) का सच्चा सहारा बनता है।
- मंगम्मा बहुत दुखी रहती है, लेकिन उसका पोता उसकी खुशी का कारण बनता है।
- कहानी में रंगप्पा नाम का एक आदमी भी आता है, जो जुआरी और लालची है। वह अकेली मंगम्मा से पैसे उधार माँगता है और यहाँ तक कि उसका हाथ पकड़ने तक की कोशिश करता है।
- यह प्रसंग दिखाता है कि अकेली स्त्री समाज में कितनी असुरक्षित होती है।
- अंत में पोते के कारण सास-बहू में मेल-मिलाप हो जाता है और वे साथ रहने लगती हैं।
दही वाली मंगग्मा (Dahi Wali Mangamma) कहानी का मुख्य बिंदु
- लेखक – श्रीनिवास (मास्ती वेंकटेश अय्यंगार) – कन्नड़ साहित्य के महान लेखक
- मुख्य पात्र – मंगम्मा (दही बेचने वाली, परिश्रमी, आत्मसम्मानी और दुखियारी स्त्री)
- पति – पत्नी की उपेक्षा कर दूसरी स्त्री में फँसा
- बेटा – माँ के बजाय पत्नी का पक्षधर
- बहू – सास का अपमान करने वाली, घर पर अधिकार जमाने वाली
- पोता – दादी से गहरा स्नेह रखने वाला, उसका सच्चा सहारा
- रंगप्पा – गाँव का जुआरी और चालाक व्यक्ति, जो अकेली मंगम्मा से पैसे माँगता है और उसका शोषण करना चाहता है
- मुख्य घटना – सास-बहू का झगड़ा, पोते का दादी से लगाव, रंगप्पा की चालबाजी
- विषय-वस्तु – सास-बहू का संघर्ष, स्त्री की पीड़ा, परिवार में अधिकार की खींचतान
- संदेश – परिवार की एकता और सुख-शांति के लिए आपसी समझ, त्याग और प्रेम आवश्यक है
कहानी का सारांश – दही वाली मंगम्मा (Dahi Wali Mangamma)
“दही वाली मंगम्मा” एक मार्मिक कहानी है, जिसमें एक साधारण ग्रामीण स्त्री के जीवन संघर्ष, उसकी पीड़ा और परिवार में उसके स्थान का यथार्थ चित्रण है।
मंगम्मा गाँव की स्त्री है जो शहर आकर दही बेचती है। उसका पति उसे छोड़कर दूसरी स्त्री के पीछे चला गया। जीवनभर उसने परिश्रम और त्याग किया, लेकिन बदले में केवल अपमान और तिरस्कार ही मिला। उसका बेटा भी अपनी पत्नी (बहू) का पक्षधर निकला और माँ को अलग कर दिया।
बहू मंगम्मा को बार-बार अपमानित करती, यहाँ तक कि वह उसके मखमल की जाकिट पहनने पर भी ताने कसती है। इन सबसे दुखी होकर मंगम्मा का एकमात्र सहारा उसका पोता बनता है, जो दादी से गहरा स्नेह करता है और उसके पास रहने की जिद करता है।
इसी बीच कहानी में एक और पात्र आता है – रंगप्पा, जो गाँव का जुआरी और लालची व्यक्ति है। वह मंगम्मा से उधार माँगता है और अकेली देखकर उसका शोषण करने की कोशिश करता है। यह प्रसंग दिखाता है कि अकेली औरत समाज में कितनी असुरक्षित होती है।
अंततः पोते के कारण सास-बहू में मेल-मिलाप हो जाता है और वे फिर से साथ रहने लगते हैं। पोता भी दादी से अलग नहीं होता।
दही वाली मंगग्मा (Dahi Wali Mangamma) कहानी का संदेश
दही वाली मंगग्मा कहानी यह बताती है कि सास-बहू का संघर्ष हर परिवार की आम समस्या है, लेकिन इसे आपसी समझ और त्याग से सुलझाया जा सकता है।
अकेली स्त्री समाज में असुरक्षित होती है, इसलिए परिवार का सहारा और प्रेम उसके लिए सबसे बड़ी ताकत है।
प्रेम, सहानुभूति और एकता ही पारिवारिक जीवन को सुखी बना सकते हैं।
दही वाली मंगम्मा का लेखक कौन है ?
उत्तर : दही वाली मंगम्मा कहानी का लेखक का नाम श्रीनिवास है
रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता था ? [2015AII, 2019AII]
उत्तर : रंगप्पा उसी गाँव का एक शराबी और जुआरी था। वह मंगम्मा से कर्ज लेना चाहता था। वह सास-बहू के झगड़े का फायदा उठाना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि मंगम्मा के पास जमा-पूँजी है।
मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था ? [2020AII]
उत्तर : मंगम्मा का अपनी बहू नंजम्मा के साथ पोते की पिटाई को लेकर विवाद था। मंगम्मा ने बहू को पोते को पीटने पर राक्षसी कह दिया, जिस पर बहू गुस्सा हो गई और बात इतनी बढ़ी कि बहू ने मंगम्मा के बर्तन-भांडे अलग कर दिए।
बहू ने सास को मनाने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया ? [2020AI]
उत्तर : बहू को जब लगा कि जुआरी रंगप्पा उसकी सास के पैसों पर बुरी नज़र रख रहा है, तो उसने विवाद खत्म करने का फैसला किया। उसने अपने पोते को दादी (मंगम्मा) के पास भेजा। पोते के प्रति मंगम्मा का प्रेम देखकर बहू ने सही समय देखकर अपनी गलती मानी और उनसे समझौता कर लिया।
‘दही वाली मंगम्मा’ शीर्षक कहानी में, रास्ते में क्या है ? [2022AII]
दही वाली मंगम्मा कहानी में, रास्ते में अमराई का कुआँ है ।
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📘 Class 10th Hindi वर्णिका भाग 2 – Objective Question 2026
| # | Chapter Name |
|---|---|
| 1 | दही वाली मंगम्मा |
| 2 | ढहते विश्वास |
| 3 | माँ – कहानी |
| 4 | नगर कहानी |
| 5 | धरती कब तक घूमेगी |
तो उम्मीद करते हैं, आपको यह पोस्ट दही वाली मंगग्मा (Dahi Wali Mangamma) अच्छा लगा होगा | ऐसे ही और पोस्ट पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Kanak Ki PathShala के और भी पोस्ट को देखें |
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